| आज बिरज मे होली हो रसिया | |
| आज रो आनंद मारा सतगुरु आया है | |
| आज सखी सतगुरु घर आए | |
| अब मे कौन उपाय करु | |
| अब मोरी सुन लो श्याम गिरधारी | |
| ऐसी करि गुरुदेव दया | |
| अलख निरंजन अलख भज ले | |
| आनंद ही आनंद बरस रहो | |
| ऐ मेरे गुरुदेव सिंधु करुणा | |
| भाग्य बड़े मे सतगुरु पायो | |
| बोल हरि बोल हरि | |
| छिम छिम | |
| चुनरी मोरी रंग डारी | |
| देखो होरी के खलिया कैसे बन्न बन्न | |
| दोउ कर जोड़ विनय करू तोहरी | |
| घड़ी एक नहिं आवडे | |
| गोपाल मोपे करुणा क्यो न आवै | |
| गोविंद कबहूँ मिलि पिया मोरे | |
| गुरु बिन कौन सहाय जगत मैं | |
| गुरु चरण कमल बलिहारी रे | |
| गुरुजी से प्रीत जो कीज | |
| गुरु महिमा कृपा कटाक्ष | |
| गुरु पुराण दातार हमरे | |
| हरी गुरु अंतर ना ही साधो | |
| हरि मेरे जीवन प्राण आधार | |
| हर सुबह शुरू होती है सतगुरु | |
| हे गोविंद हे गोपाल | |
| हे मुरली मनोहर गोपाल | |
| होली मे खेलूंगी श्याम से डट के | |
| होया मगन मन नाचे रे | |
| जनम जनम को दास तिहारो | |
| जो दिन संत मिले | |
| जो हम भले बुरे | |
| जो सुख होत गोपाल ही गायें | |
| कृपा कटाक्ष निहारो | |
| मे अरज करु गुरु थाने | |
| मय कैस जीवु मेरे साहिब गोसाईं | |
| मोहि लागी लटक गुरु चरणन की | |
| नहिं बिसरूं दिन राती | |
| नंद के आनंद भयो | |
| नाथ अनाथ के सुध लीजे | |
| पायो जी मैने गुरु चरणों में विश्राम | |
| पायो जी मैने राम रतन धन पायो | |
| प्रभु मेरे अवगुण चित न धरो | |
| रसिया को नर बनाओ रे रसिया को | |
| रावण के देश गयो | |
| रे मन कृष्ण नाम कही लीज | |
| साहिबा ओ मेरे साहिबा | |
| सखी मेरे मन की कौन जाने | |
| सतगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ | |
| सतगुरु मेरो जीव | |
| शहर में जूना जोशी आया | |
| श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे | |
| सुने री मैने निर्बल के बलराम | |
| तेरो प्रभु किस विद दर्शन पाऊ | |
| ठाकुर तुम शरणायी आय | |
| तू ही तू गुरुदेव हमारे | |
| तम मोरी राखो लाज हरि | |