भजन

#बोलध्वनि
अब सौंप दिया इस जीवन का
ए दिल तू पुकार दयानिधि को
ऐ मेरे सतगुरु ऐ मेरे मेहरबान
बंगला अजब बनाया महाराज
बन्सी जोर की बजाई रे नंदलाला
चलो चलो भाई बहनो
दादा चरनो मे हर दम
दादा दादा रटते रटते
दादाजी आप दया करो
दादाजी दया करके
दादजी दीन दयाल
दादाजी के चरण पखारो री
दादाजी के प्रेमियो दादा नाम बोलो
दादाजी मेरे आपको
दादाजी से मिलने का
दादाजी तेरे भरोसे
दादा मैं तुम में रम जाऊ
दादा तेरे चरणों की
दादा तेरी भक्ति का
डंडा धारीजी दयालु मेरे
डंडा धारी रे जीने का सहारा
दर पे आपके आ गए हम
दर्शन दीजो आये
दया मय दया हो
इक याद आपकी याद रहे
गाड़ी वाले मैंने बैठाले
गुण गांवा नित तेरे
है इसी में मन को शांति
है क्या क्या जलवा
हमारे दादा की अटरिया
हमने तो सतगुरुजी
हरिहर सर्व सुख दाता
हर पल में मुझे दादाजी
इस दुनिया मे अनमोल चीज़
जय जय हो
जन्म लियो मेरे रघुराई
जोगी थारो संगड़ो नहि छोड़ूँ
काहे रे बन खोजन जाए
कई जन्मों से बुला रही हु
कैस आऊं रे सवरिया थारी ब्रज नगरी
कर दो दूर दादाजी
कर सेवा गुरु चरणन की
लगन तुमसे लगा बैठे
मारो घर आवोौ प्रीतम प्यारे
मन मौज बड़ी
मेरा कोई ना सहारा बिन तेरे
मेरे छोटे से सरकार
मेरी छोटी सी है नाव
म्हारा श्याम सलोना आये रे
मोहे सतगुरु संग मिलाये
मुझे मान है तेरी कृपा का
मुक्ति मले कि ना मले
सच्ची सरकार दे कदमां ते
सांवरिया ले चल परली पार
शरण मे दादाजी के आये हुए
शरण मे हैं हम सदा तुमहारी
सुनो सरकार मेरे
सुर के घुंघरू बांध पैर में
स्वर्ग से सुन्दर सबसे प्यारा
ये सेवा भक्तों सेवा
यह तो प्रेम की बात है
#बोलध्वनि
आज बिरज मे होली हो रसिया
आज रो आनंद मारा सतगुरु आया है
आज सखी सतगुरु घर आए
अब मे कौन उपाय करु
अब मोरी सुन लो श्याम गिरधारी
ऐसी करि गुरुदेव दया
अलख निरंजन अलख भज ले
आनंद ही आनंद बरस रहो
ऐ मेरे गुरुदेव सिंधु करुणा
भाग्य बड़े मे सतगुरु पायो
बोल हरि बोल हरि
छिम छिम
चुनरी मोरी रंग डारी
देखो होरी के खलिया कैसे बन्न बन्न
दोउ कर जोड़ विनय करू तोहरी
घड़ी एक नहिं आवडे
गोपाल मोपे करुणा क्यो न आवै
गोविंद कबहूँ मिलि पिया मोरे
गुरु बिन कौन सहाय जगत मैं
गुरु चरण कमल बलिहारी रे
गुरुजी से प्रीत जो कीज
गुरु महिमा कृपा कटाक्ष
गुरु पुराण दातार हमरे
हरी गुरु अंतर ना ही साधो
हरि मेरे जीवन प्राण आधार
हर सुबह शुरू होती है सतगुरु
हे गोविंद हे गोपाल
हे मुरली मनोहर गोपाल
होली मे खेलूंगी श्याम से डट के
होया मगन मन नाचे रे
जनम जनम को दास तिहारो
जो दिन संत मिले
जो हम भले बुरे
जो सुख होत गोपाल ही गायें
कृपा कटाक्ष निहारो
मे अरज करु गुरु थाने
मय कैस जीवु मेरे साहिब गोसाईं
मोहि लागी लटक गुरु चरणन की
नहिं बिसरूं दिन राती
नंद के आनंद भयो
नाथ अनाथ के सुध लीजे
पायो जी मैने गुरु चरणों में विश्राम
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
प्रभु मेरे अवगुण चित न धरो
रसिया को नर बनाओ रे रसिया को
रावण के देश गयो
रे मन कृष्ण नाम कही लीज
साहिबा ओ मेरे साहिबा
सखी मेरे मन की कौन जाने
सतगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ
सतगुरु मेरो जीव
शहर में जूना जोशी आया
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे
सुने री मैने निर्बल के बलराम
तेरो प्रभु किस विद दर्शन पाऊ
ठाकुर तुम शरणायी आय
तू ही तू गुरुदेव हमारे
तम मोरी राखो लाज हरि