मेवाड़ी राणा भजना से लागे मीरा मीठी मेवाड़ी राणा भजना से लागे मीरा मीठी, उदयपुर राणा भजना से लागे मीरा मीठी. भजना से लागे मीरा मीठी, मेवाडी राणा भजना से लागे मीरा मीठी।। सकड़ी गली में म्हाने सतगुरु मिलया, किन विध पिरु मैं अंगूठी, मेवाडी राणा भजना से लागे मीरा मीठी।। का तो मीरा थारो श्याम बता दे, नहीं तो प्रीति थारी झूठी, मेवाडी राणा भजना से लागे मीरा मीठी।। म्हारो तो राम राणा घट घट में बोले, थारी तो एक ही किया बूटी, मेवाडी राणा भजना से लागे मीरा मीठी।। सास ननद म्हारी देराणी जेठाणी, बल बल हो गई अंगीठी, मेवाडी राणा भजना से लागे मीरा मीठी।। बाई मीरा के हरी ने गिरधर नागर, पार तो लगावोनी प्रीति, मेवाडी राणा भजना से लागे मीरा मीठी।।