गुरुवर के चरणों में वंदन गुरुवर के चरणों में वंदन में करता हूं स्वीकार कीजिए दास की वंदना गुरुवर आप दयालु हो दयावान हो करते रहते सदा हम पर एहसान हो भूल क्षमा कर देते हैं और अपनी शरण में लेते हैं, स्वीकार कीजिए... हम तो भटक रहे थे अंधकार में कोई मंजिल नहीं थी संसार में धर्म का दीपक जला दिया और भजन का मार्ग बता दिया स्वीकार कीजिए... अब तो मन में हमारे यही है लगन कर दे कृपा तो हो जाए हरी से मिलन हमको भक्ति का वर देना थोड़ी आप सिफारिश कर देना स्वीकार कीजिए...