गोकुल की हर गली मे गोकुल की हर गली मे, मथुरा की हर गली मे, कान्हा को ढूँढ़ता हूँ, दुनिया की हर गली मे|| गोकुल गया तो सोचा, माखन चुराता होगा, या फिर कदम के नीचे, बंसी बजाता होगा, गोकुल की हर गली में, ग्वालिन की कान्हा को ढूँढ़ता हूँ, शायद किसी बहन की, साड़ी बढ़ाता होगा, या फिर वो बिष का प्याला, अमृत बनाना होगा, भक्तो की हर गली मे,प्रेमी की हर गली मे, कान्हा को ढूँढ़ता हूँ, ढूंढा गली गली में, खोजा डगर डगर में, मुझको मिला कन्हैया, दिल वालों की गली में, गुजरी की हर गली में, प्रेमी की हर गली में, कान्हा को ढूँढता हु,