ए लाख लाख वंदन तमने ए लाख लाख वंदन तमने, कोटि कोटि वंदन गुरु गम का सागर तमने, लाख लाख वंदन हाँ, अज्ञान जिवोडो गुरु जी, शरण में आयो, ए (हाँ री) ज्ञान को दीपक गुरु जी... जनाए हो दीजो, गुरु गम... हाँ, लाख हो चौरासी में जिवोडो, भटकी में आयो ए (म्हारी) अब की चौरासी गुरु जी... छुड़ाई हो दीजो, गुरु गम... हाँ डूबत, आ डूबत हो गुरूजी, आप ने बचायो ए अब को जीवन हो गुरू जी... संवार हो दीजो, गुरु गम... हाँ, इन हो सेवक की गुरूजी, अरज गुसाई, ए आवागमन को बंधन... छुड़ाई हो दीजो, गुरु गम...