आओ आओ दादा के बच्चों आओ दादा के गुण गाओ समैया है थोड़ा सा समैया है थोड़ा सा, आओ आओ दादा... गजानंद गणपति मनावा सरस्वती भजन बिन गती, समैया है थोड़ा सा... दादा नाम की बूटी हाथों से गई छुट्टी संतो ने लई लूटी, समैया है थोड़ा सा... दादा नाम का प्याला पियेगा मतवाला पिलाए धूनी वाला, समैया है थोड़ा सा.... राम लखन वनवासी अयोध्या वासी रूप सन्यासी, समैया है थोड़ा सा...