सुने री मैंने निर्बल के बल राम

सुनेरी मैंने निर्बल के बल राम

पिछली साख भरुं संतन की आड़े सवारे काम
सुनेरी मैंने निर्बल के बल राम ।

जब लगि गज अपनो बल बरत्यो,
नेक सरयो नहिं काम।

निरबल होय बलराम पुकारयो,
आये आधे नाम ।। सुने री मैंने ....

द्रुपदसुता निरबल भई ता दिन,

तजि आये निज धाम।

दुस्सासन की भुजा थकित भई ,
बसन रूप भये श्याम ।। सुने री मेंने ...

अप बल तप बल और बाहु बल,
चौथा है बल दाम।

सूर किशोर कृपा ते सब बल,

हारे को हरिनाम ।। सुने री मैंने 
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