श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे श्रीकृष्ण विनती ये दास की है भूलें न मन नाम कभी तुम्हारा । निष्पाप हो के दिन रात गारऊँ, श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।। देहान्त समय तव दर्श ही हो, मुरली बजाते गाते लुभाते। गाता यही नाथ तनु दास त्यागे, श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।। श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे है नाथ नारायण वासुदेवा।।