सतगुरु मेरो जीव सखी री साखी भवसागर के तरण को सदगुरु चरण जहाज। जो सेवहिं अति भाव सूं तिनके सुधरे काज।। सदगुरु रक्षक जीव के कहे जाग रे जाग। समय अमोलक है मिला, गुरु से कर अनुराग।। भजन सत्तगुरु मेरो जीव सखी री सतगुरु मेरो जीव नेणां री ज्योंति है मेरे सत्तगुरु दरस करावे पीव( बिन सतगुरु सब सूना रे सूना ज्यों बाती बिन घीव।। सतगुरु मेरी आतमा रे सतगुरु मेरी देह। प्रेम लता लहराइया तो मन सरसावे नेह।। ऐसो भरम बणाय रखियो, विनय करूँ जी कर जोर। चरण कमल में राखियो जी नेक न करियो दूर।। सत गुरु मेरो जीव सखी री सतगुरु मेरो जीव....