सद्गुरु ज्योत से ज्योत जगाओ

	    साखी

जब जब डोलत यह धरा लखि अधर्म को बाढ़।
कृपा सिंधु हरि लेत है गुरु रूप अवतार।।

जिसने गुरु को सौंपदी निज जीवन की बाग।
कबहुं वह जरता नहीं काम क्रोध की आग।।
सदगुरु रक्षक जीव के कहे जाग रे जाग।
समय अमोलक है मिला तू गुरु से कर अनुराग।।

साष्टांग दण्डवत करु सदगुरु तव चरणार।
जाकी पद नख ज्योंति से आलोकित संसार।।

    	भजन

सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ,
मेरा अन्तर तिमिर मिटाओ। सदगुरु...

हे योगेश्वर हे परमेश्वर हे प्राणेश्वर हे सर्वेश्वर
निज किरपा बरसाओ।। सदगुरु...

हम बालक तेरे दर पे आये मंगल दरश दिखाओ,
सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ।

शीश झुकाऊँ करूँ तेरी आरती प्रेम सुधा बरसाओ
सद्गुरु ज्योत से ज्योत जगाओ।

अन्तर में युग युग से सोई चित्त शक्ति को जगाओ
सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ।

सांची ज्योत जगै हिरदे में सोहम नाद जगाओ
सद्गुरु ज्योत से ज्योत जगाओ।

जीवन मुक्तानन्द अविनाशी चरणन शरण लगाओ
सद्गुरु ज्योत से ज्योत जगाओ।