रावणा के देश गयो रावणा के देश गयो, सिया को संदेशो लायो। कबहुं न कीन्हीं हनुमत, बात अभिमान की ।। रावणा .... छिन में समुन्दर लांघ्यो, पल में पहाड़ लायो | लायो संजीवन बूटी, लक्ष्मण प्राण की।। रावणा .... असुरों को मार डाला, बन को उजाड़ डाला। दहशत मानी नाही, रावण बलवान की ।। रावणा .... सुनो हो भरत भेया दुहाई है दशरथ जी की। हनुमत ना ही हो तो कौन लातो जानकी |। रावणा .... तुलसीदास प्रभु, आस रघुवर जी की। बलिहारी जाऊँ मैं तो बलि हनुमान की ।। रावणा ....