प्रभु मोरे अवगुण चित्त न धरो प्रभु मोरे अवगुण चित्त न धरो, समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार करो। इक नदिया इक नार कहावत मैलो ही नीर भरयो। दोऊंमिलकर जब एक भरन भये, सुरसरि नाम परयो।। प्रभु मोरे.... इक लोहा पूजा में राखत, इक घर बधिक परयो। पारस गुण अवगुण नाहि चितवत, कंचन करत खरो।। प्रभु मोरे..... इक माया इक ब्रह्म कहावत, सूर श्याम झगरो। अबकि बेर मोहे पार उतारो, नहिं प्रण जात टरो॥। प्रभु मोरे ..... प्रभु मोरे अवगुण चित्त न धरो....