नाथ अनाथन की सुध लीजे

नाथ अनाथन की सुध लीजे
तुम बिन दीन दुःखी हैं गोपी,
बेगहि दर्शन दीजे प्रभुजी ।।
नाथ अनाथन....

नेनन जल भरि आये हरि बिन
उद्धव को पतियां लिख दीजे
सूरदास प्रभु आस मिलन की
अबकि बेर ब्रज आवन कीजे।।
नाथ अनाथन....