जो हम भले बुरे सो तेरे

    	साखी

अवगुण किये तो बहु किये करत न मानी हार।
भावे अवगुण बक्षिये, भावे गरदन मार।।

अवगुण मोरे बाप जी बक्सो गरीब नवाज।
जो मैं पूत कपूत हूं, तहँ पिता को लाज।।

    	भजन

जो हम भले बुरे सो तेरे,
तूने हमारी लाज बढ़ाई, विनति सुनहु प्रभु मोरे।।

सब तजि तव सरनागत आयो, निज कर चरन गहे रे।
तव प्रताप बल बदत न काहु, निडर भये घर चेरे।।

आन देव सब रंक भिखारी, त्यागे बहुत अनेरे।
सूरदास प्रभु तुम्हरी कृपा ते, पाये सुख द घनेरे।।

जोहम भले बुरे सो तेरे....