हर सुबह होती शुरू है सतगुरु

हर सुबह होती शुरु है, सतगुरु तुम्हारे नाम से
दिन गुजरता शाम होती, सतगुरु तुम्हारे नाम से

काम कोई ना रुकेगा आये जो सत्संग में रोज
फल की ना हो कामना, कर्म करे निष्काम से।।

देखें ना अवगुण किसी के गुणों के ग्राहक हम बनें
ऐसी सुमति देना तू दाता ध्यान बस तेरा रहे।।

बात जो बस में नहीं है, उसकी चिन्ता क्यूँ करें
छोड़ कर तेरे हवाले, सोते हैं हम आराम से।।

हीरे रत्नों से भरी है खान ये सत्संग गुरु की
लूटना चाहो तो लूटो नाम धन बिन दाम के।।