गोविन्द कबहूँ मिले पिया मारा 

  गोविन्द कबहुँ मिले पिया मारा 
  चरण कमल को हंस हंस देखूँ
  राखु नैणां नैड़ा । ।

  निरखण को मोहे चाव घणेरो,
  कब देखूं मुख तोरा । ।

  व्याकुल प्राण धरत नहिं धीरज,
  मिल तूं मीत सवेरा । ।

  मीरा के प्रभु गिरधर नागर
  ताप तपन बहु तेरा । ।

  गोविन्द कबहुं मिले पिया मोरा