घडी एक नहिं आवड़े घडी एक नहिं आवड़े, तुम दर्शन बिन मोय । तुम हो मेरे प्राण जीव, जीवण कैसे होय । । धान न भावे नीदं न आवे, बिरह सतावे मोय । घायल सी घूमत फिरुं रे, मेरा दर्द न जाणे कोय । । घडी .. डगर बुहारुं पंथ निहारुं, ऊभी मारग जोय । मीरा के प्रभु कबरे मिलोगे, तुम मिलियां सुख होय । । घडी . .