दोऊँ कर जोड़ विनय करुँ तोरे

  दोऊँ कर जोड़ विनय करुँ तेरे

  मन को शुद्ध करो प्रभु मोरे
  मैं छलिया कपटी अभिमानी
  भात पिता तुम हो मम सांई । । दोऊँ कर . . . 

  तुम्हें छोड़ किस द्वारे मैं जाऊँ
  मन की व्या मैं किसे सुनाऊँ । । दोऊँ कर . . .