छिम छिम बरसे छिम छिम बरसे अमृत धारा मन पीवे सुन शब्द विचारा आनंद विनोद करे दिन राती सदा सदा हर केला जिओ छिम छिम बरसे... सब किछु घर में बाहर नाही बाहर डोले सो भरम भुलाई गुरु परसादी जिन्हें अंतर पाया सो अंतर बाहर सोहेला जिओ छिम छिम बरसे... जन्म जन्म का बिछड़या मिलिया साध कृपा से सुखा हरिया सुमत पाए नामधरिये गुरमुख होवे मेला जिओ छिम छिम बरसे... जले तरंग ज्यो जले समाया त्यों ज्योति संग ज्योति मिलाया कहे नानक भ्रम कटे किवाणा बेहू होइए ज्योति जिओ छिम छिम बरसे...