अलख निरंजन अलख भज ले

  अलख निरंजन अलख भज ले
  अलख निरंजन अलख

  दुनिया का है यही ठिकाना
  माया घेरे शाश्वत जाना,
  अंत काल में होगा रोना।। अलख,.....

  संग संगाती कुट॒म्ब कबीला,
  करते हैं नाटक की लीला,

  भरम छोड़ लख आतम लीला।। अलख,....

  अलख निरंजन नाम का जप कर
  गुरु कृपा से घट की सफर कर।
  उद्बोध हो जा अलख जगा कर
  अलख निरंजन अलख भज ले।।