अब मोरी सुन लो श्याम गिरधारी
  में तो बिनती करत अब हारी, सुन लो श्याम....

  चरनन की में तोरी दासी,
  तुम जानत सब घट घट वासी।
  तुम बिन कोऊ इस जग में मेरा,
  कृष्ण कन्हैया मुरारी ।। अब मोरी...

  पतितन के तुम हो प्रतिपालक,
  मेरी नेया के तुम चालक।
  तेरे भरोसे नेया मैंने,
  भव सागर में उतारी मुरारी।। अब मोरी...

  तुम चाहो तो पार लगा दो,
  चाहो तो मझधार डुबादो।
  डूबेगी जो नेया मोरी,
  तुम ना बचोगे गिरधारी मुरारी।। अब मोरी ....