अब मैं कोन उपाय करूं
  
         साखी

  भवसागर भारी भया, गहरा अगम अथाह।
  तुम दयाल दाया करो, मैं पाऊँ कछ थाह।।

  सुरति करो मम सांईयां हम हैं भव जल मांही।
  आपे ही वह जायेंगे, जो तुम नहिं पकड़ो बाँह।।
 
         भजन
  अब मैं कौन उपाय करूं

  जेहि विधि मन को संसय छूटे भवनिधि पार परूं,
  जनम पाय कछु भलो न कीन्हो, ताते अधिक डरूुं।।

  अब मैं कौन उपाय करूं...

  गुरुमत सुन कछु ज्ञान न उपज्यो, पशुवत उदर भर,
  कहे नानक कछु विरद विचारो, तब हों पतित तरुं।।

  कौन उपाय करूं...