आज रो आनंद म्हारा सतगुरु आया है साखी गुरु मिले तो सब मिला नहिं तो मिला न कोय, मात पिता सुत बांधवा ये तो घर घर होय। सतगुरु मिल निर्भय भया अब रही न दूजी आस, जाय समाना चरण में, अब गुरु एक विश्वास। सहजो सद्गुरु के मिले हम भये और से और, काग पलट गति हंस भई, पाई भूली ठोर। ज्ञान प्रकाशी गुरु मिल्या, सोजन बिसरी जाय, जब गोबिन्द किरपा करी तो सतगुरु मिलिया आय। भजन आज रो आनन्द म्हारा सतगुरु आया है। सतगुरु आया मोरा बन्धन छुड़ाया है।। भाण को प्रकाश भयो मोतियों रो चौक थयो, सतगुरु बैठया चौकी जुगत लखाया है।। आत्मा उलास भयो हिये रो अंधे रो गयो, जम सिर मारी लात तिनका तुडाया है।। दिया है परवाना पान शबद सुणाया कान, नारियल दीना हाथ अभय पद पाया है।। जिण घर आये साथ सकल मिटाया वाद, अरस परस होय ने करम कटाया है।। साहिब कबीर ब्रह्म ताको नहीं लागे करम, जीवां रा बन्धन काट काल से बचाया है।। धरमी दासन के दासा रखियो तुम्हारे पासा, चरणो री ओट ले न पार लगाया है।। आज रो आनंद म्हारा सतगुरु आया है....