सांवरिया ले चल परली पार खिवैया ले चल परली पार, सांवरिया ले चल परली पार जहां बिराजे राधा रानी अलबेली सरकार सांवरिया ले चल... गुण अवगुण सब तेरे अर्पण पाप पुण्य सब तेरे अर्पण बुद्धि सहित मन तेरे अर्पण यह जीवन भी तेरे अर्पण मैं तेरे चरणों की दासी तुम मेरे प्राण आधार सांवरिया ले चल... तुम संग प्रीत लगा बैठी हूं अपना आप भुल्ला बैठी हूं तुम संग नेह लगा बैठी हूं आंखें खूब पका बैठी हूं सांवरिया मै तेरी रागिनी तू मेरा राग मल्हार सांवरिया ले चल... जग की कुछ परवाह नहीं है तेरे बिन कोई चाह नहीं है और सूझती राह नहीं है जग में कोई अपना ही नहीं है मेरे प्रीतम मेरे माझी कर दो बेड़ा पार सांवरिया ले चल... आनंद धन जहां बरस रहा है पत्ता पत्ता हर्ष रहा है पी पीकर कोई सरस रहा है हरी बेचारा तरस रहा है बहुत हुई अब हार गई मैं क्यों छोड़ा मझधार सांवरिया ले चल...