मोहे सतगुरु संग मिलाये 

मोहे सतगुरु संग मिलाये सखी 
मोरी मन की तपन बुझाये सखी 

आन बसी चोरन की नगरिया
खोस खोस कर खाये सखी 
झूठे कर विकार जगत के 
बिरहा रही फसाये सखी 
मोहे सतगुरु संग मिलाये 

बिन गुरु ज्ञान मोक्ष नहीं होव 
कोटी जतन कराये सखी 
भरमानन्द मिले गुरु पूरा 
भव बंधन मिट जाये सखी 
मोहे सतगुरु संग मिलाये