मन मौज बड़ी है दादा नाम अंदर 
  दादा नाम अंदर हरिहर नाम अंदर 

  तू तो सारे जग दा वाली है 
  जग सारा तेरा सवाली है 
  चंद्र तारे चलन ऐदी शान अंदर 
  मन मौज बड़ी है...

  पूछो तुलसीदास कबीर को लो 
  मीरा जैसी साधु फकीर को लो 
  कितनी मस्ती है दादा नाम अंदर 
  मन मौज बड़ी है..

  तेरी शिफदा दा की मै बयान करां
  तेरे कैड़े कैड़े गुन मै बखान करां
  इतनी ताकत ना मेरी जुबां अंदर
  मन मौज बड़ी है..

  मन मस्त मंगल होके नाम सुमर 
  ना तू दुनिया से डर पैरे आगे आगे धर 
  तेरे दादा बसे हैं तेरे मन के अंदर
  मन मौज बड़ी है..