कर दो दूर दादाजी मेरे मन में अंधेरा है 
  है जब से लगन लगी हुआ मन में सवेरा है 
  
  अब तो बताओ प्रभु मेरी मंजिल है कहां 
  नहीं तो मुझे ले चल जहाँ डंडे वाला मेरा है 
  कर दो दूर प्रभु जी...

  मुद्दतों से आस लगी कभी तो मिलोगे प्रभु 
  कोई नहीं अपना यहां एक आसरा तेरा है 
  कर दो दूर दादाजी...

  कई युग बीत गए दादा आप से बिछड़े हुए 
  अब तो आ जाओ मेरे मन में है प्यार तेरा 
  कर दो दूर दादाजी...

  अब तो हटा दो प्रभु मेरे मन में पर्दा पड़ा 
  चमक उठी ज्योति सामने डंडे वाला मेरा है 
  कर दो दूर दादाजी...