केसे आऊँ रे सांवरिया थारी ब्रज नगरी कैसे आऊँ रे सांवरिया थारी ब॒ज नगरी कैसे आऊँ रे तेरी नगरी में कान्हा यमुना बहत है। पांव चलुं तो भीजे घघरी ।। कैसे आऊँ रे.... तेरी नगरी में कान्हा डॉड लगत है। मोहन रोक लई डगरी ।। कैसे आऊँ रे... तेरी नगरी में कान्हा फाग मची है। श्याम करे झगरा झगरी ।। कैसे आरऊँ रे.... लाल गुलाल के बादल छाये। केसर रंग भरे गगरी ।। कैसे आऊँ रे.... भर पिचकारी मेरे मुख पर डारी भीज गई चुनरी सगरी ।। कैसे आऊ रे.... मो पर तो रंग हसं हंस डारे। मोहन आप गयो भग री।। कैसे आऊँ रे.... तेरी नगरी में कान्हा कीच बहुत है। रपट पड़े राधा कुंवरी ।। कैसे आऊँ रे... राम सखी तेरो जस गावे। हृदय धरण तुम्हरी पगरी ।। कैसे आऊँ रे...