कई जन्मों से बुला रहे हो कोई तो रिश्ता ज़रूर होगा मेरी नज़र को नज़र न आओ मेरी नज़र का कसूर होगा तुम ही तो मेरे मात पिता हो तुम ही तो मेरे बंधु सखा हो सारे नाते तुम संग बांधे कोई तो नाता ज़रूर होगा तुम ही तो मेरी आत्मा हो तुम ही तो मेरे परमात्मा हो मुझ ही में रह कर मुझ ही से पर्दा पर्दा हटाना ज़रूर होगा आंखों में बस गयी तस्वीर तेरी दिल बन गया है जागीर तेरी दासी की अब बस यही है विनती दरस दिखाना ज़रूर होगा मेरे गुनाह है लाखो मैं मानु कुछ मैं तो जानू कुछ ना भी जानू कुछ माफ करदो कुछ साफ करदो लेखा मिटाना जरूर होगा कई जन्मों से बुला रहे हो