काहे रे बन खोजन जाए काहे रे बन खोजन जाए सर्व निवासी सदा अलेपा तोहि संग समायी काहे रे बन खोजन जाए पुष्प मध्य जो बास बसत है मुकुर माह जैसे छायी तैसे ही हरी बसे निरंतर घट ही खोजो भाई काहे रे बन खोजन जाए बहार भीतर एक ही जानो ये गुरु ज्ञान बतायी जन नानक बिन आपः चिन्हे मिटाये ना भरम की काई काहे रे बन खोजन जाए