जन्म लियो मेरे रघुराई 

  जन्म लियो मेरे रघुराई, अवध पूरी में बहार आई

  कलियों ने घूंघट खोले, भँवरे भी हंस हंस डोले 
  बादल में रिमझिम छाई, अवध पूरी में बहार आई 
  जन्म लियो... 

  मात कौशल्या की किस्मत जागी, मात सुमित्रा भी बडभागी 
  बिगड़ी दशा अब बन आयी, अवध पूरी में बहार आई 
  जन्म लियो... 

  वन में ताड़का को मारा, फिर अहिल्या को तारा 
  धनुष तोड़ सीता ब्याही, अवध पूरी में बहार आई 
  जन्म लियो... 

  राम मेरे मन के मोती, हैं वो नैनं की ज्योति 
  राम लखन दोनों भाई, अवध पूरी में बहार आई 
  जन्म लियो... 

  चौदह बरस वनवास लियो, सीता लखन को साथ लियो 
  रावण ने सीता चुराई, भारी विपदा है आई 
  जन्म लियो... 

  हनुमान ढूंडन को गये, अशोक वाटिका मे सिया से मिले
  सीता की सुध बुध पायी, अवध पूरी में बहार आई 
  जनम लियो...

  सेतु बना संग्राम हुआ, ऐसे पाप का नाश हुआ 
  रावण का संहार हुआ, देवता गाने लगे बधाई , अवध पूरी में 
  जन्म लियो