हरिहर सर्व सुख दाता हरिहर सर्व सुख दाता, दिगंबर हो तो ऐसा हो विराजे आए खंडवा में, भवानी धाम शुभ कीनो रमे नित संग में धूनी, रमैया हो तो ऐसा हो हरिहर... रहते हैं नग्न नित भगवन, कभी अलमि पहन लेते चमकता चांद सा मुखड़ा, मनोहर हो तो ऐसा हो हरिहर... किसी के द्वन्द को तोड़े, किसी के फंद को काटे मुसीबत ये हरे सबकी, दयावन हो तो ऐसा हो हरिहर... किसी के अन्नदाता हैं, किसी के प्राण दाता हैं मेरे तो शरणदाता है, मुकद्दर हो तो ऐसा हो हरिहर...