हमारे दादा की अटरिया हमारे दादा की अटरिया दिवला झिलमिल झिलमिल होये नर्मदा मैया की अटरिया दिवला झिलमिल झिल होये भाई रे, ऊंची अटरिया चन्दन केवड़िया नैनं ही में ज्योत पहुंचेंगे कोई संत विवेकी कुटुल कुटुम् तज देय हमारे दादा… भाई रे, चंदा सूरज मारग कहिये रहें गगन में सोय अनहद बाजे बाजन लागे सूरत गगन में होय हमारे दादा… भाई रे, कोटि भान उजियार होत है तिमिर ना दिखे कोई त्रिकुटी बैठे जपै सुमरने सिन्दु में बिंदु समोए हमारे दादा… भाई रे, करनी करे मोक्ष फल पांवे आवा गमन ना होए धरम दास की विनती सुन लीजो बंदी छोर हमारे दादा…