गुण गांवा नित तेरे गुण गांवां नित तेरे मन मंदिर तन वेस कलंदर, घट ही तीरथ नावां दादा नाम मेरे प्राण बसत है, बहुर जनम नहीं आंवां गुण गँवा नित तेरे... अगम अगोचर अलख अपारा, रक्षा करो हमारी कण-कण में तुम हो व्यापक, घट घट ज्योत तुम्हारी गुण गँवा नित तेरे... वेद ग्रंथ शास्त्र तुम्हारे, मंदिर मस्जिद तुम्हारे तुझ बिन अवर न जाना मेरे दादाजी, गुण गावा नित तेरे गुण गँवा नित तेरे... जीव जंतु सब शरण तिहारी, सब तेरी दया के प्यासे अपने चरणों से दूर ना करना इस भक्तों की अरदास ए गुण गँवा नित तेरे...