दया मय दया हो दया सिंधु स्वामी
   
  तुम ही ब्रम्ह हो देव संसार करता 
  तुम ही विष्णु हो देव संसार करता 
  महादेव कल्याण रूप नमामि 
  दया मय दया हो...

  तुम ही जन्म ले राम मर्यादा राखी 
  सुना कृष्ण गीता बने आप सारथी 
  बने आज धूनी रमा रूप स्वामी 
  दया मय दया हो...

  खड़ी रिधियाँ सिद्धियां हाथ जोड़े 
  दया नाथ बैठे दया दृष्टि मोड़े 
  लुटाते खुले द्वार भंडार स्वामी 
  दया मय दया हो...

  नहीं भेद राजा प्रजा का यहां है 
  जगन्नाथ जी की पूरी ही यहां है 
  तुम ही प्रेम की चाह हो प्रेम स्वामी 
  दया मय दया हो...

  करो पार भव सिंधु विनती यही है 
  मनोकामना और कोई नहीं है 
  रहे ध्यान आपका नमामि नमामि 
  दया मय दया हो...