दादाजी मेरे आपको दादाजी मेरे आपको बच्चों ने पुकारा है हरिहर जी मेरे आपको बच्चों ने पुकारा है आओ अब आजाओ आपका ही सहारा है मजधार पड़ी नईया डगमग डोला खाये मिलजाओ हमे आकर हम भव से तर जाये बिना आपके नहीं जग मे इक पल भी गुज़ारा है दादाजी मेरे आपको... है चारो तरफ छाया घनघोर अँधेरा है अब जाये कहाँ बोलो तुफानो ने घेरा है हे नाथ अनाथों को आपका ही सहारा है सेवा गुरु चरनन की युक्ति भव तरनन की महिमा गुरुवर्णन की व्यथा शुभ कर्मण की गुरु ज्ञान संजीवनी की बहती एक धारा है दादाजी मेरे आपको... आपके इन चरणों की धूलि जो मिलजाए भटके हुए राही को निज मंज़िल मिलजाए किस्मत ही चमक जाये चमके जो सितारा है दादाजी मेरे आपको... ब्रम्ह श्रम गुरु शक्ति को कोई पार नहीं पाए दो दर्शन अब गुरुदेव चरणों से लिपट जाए यह दास सदा करता गुण गान आपका है दादाजी मेरे आपको...