दादाजी दया करके

  दादाजी दया करके मुझको अपना लेना 
  मैं शरण पड़ा तेरी चरणों में जगा देना।  

  करुणा निधि नाम तेरा करुणा दिखलाओ तुम 
  सोये हुए भाग्यों को हे नाथ जगाओ तुम 
  मेरी नाव भवर डोले इसे पार लगा देना   
  गुरु देव दया करके... 

  तुम सुख के सागर हो निर्धन के सहारे हो 
  इस मन में समाये हो मुझे प्राणों से प्यारे हो 
  नित माला जपूँ तेरी नहीं दिल से भुला देना 
  गुरु देव दया करके...  

  पापी हूँ या कपटी हूँ जैसा भी हूँ तेरा हूँ 
  घर बार छोड़ कर मैं जीवन में अकेला हूँ 
  दुःख का मारा हूँ मैं मेरे दुखड़े मिटा देना 
  दादाजी दया करके...

  मैं आपका सेवक हूँ दादा चरणों का चेला हूँ 
  नहीं नाथ भुलाना मुझे इस जग में अकेला हूँ  
  तेरे दर का भिकारी हूँ मेरे दोष मिटा देना 
  दादाजी दया करके...