दादा दादा रटते रटते

 दादा दादा रटते रटते बीत रही है उमरिया 
 हरिहर हरिहर रटते रटते बीत रही है उमरिया 
 कोई ना जाने धूनी वालो कैसो है सावरिया
 दादा दादा रटते रटते...

 जबसे देखि लीला तुम्हारी, मन न लगे किसी काम में 
 जो भी आता द्वार आपके, रम जाता दादा नाम में 
 ऐसी है ये महिमा तुम्हारी, झूम उठी है नगरिया 
 दादा दादा रटते रटते...

 नर नारी सब आते यहाँ पे, मन में आशा धार के 
 लंगड़े लूले अंधे कौड़ी, सब है इनको प्यारे 
 दुखियों का दुख दूर किया है, फेर ली क्यों नज़रिआ
 दादा दादा रटते रटते...

 निस दिन चर्चा होती यहाँ पे, दादाजी के नाम की 
 सब भक्तों के मन में बसी है, सूरत सुहानी आपकी 
 मोरे ह्रदय तोरी बस गयी अलबेली मूरतिया 
 दादा दादा रटते रटते...