दादा चरणों में हरदम बुलाते रहो मैं चरणों में सर को झुकाती रहूं नाम सुन कर के दर पर आई प्रभु कोई दूजा जमाने में पाया नहीं ऐसा दुनिया में मैंने देखा नहीं मन में मूरत तुम्हारी बसाती रहूं दादा चरणों में... जलती धूनी है हरदम तुम्हारे यहां दूर होते हैं दुखियों के दुखड़े यहां आप लगाते हो डंडा लगाते रहो मैं चरणों में सर को झुकाती रहूं दादा चरणों में... भूल जाऊं ना तुमको दयालु दादा ऐसी नज़रें दया कि तुम करते रहो दूर नज़रों से मेरी ना होना कभी मन में मूरत तुम्हारी बसाती रहूं दादा चरणों में... अब तो सुन लो दयालु दादाजी मेरे मेरा दुनिया में कोई सहारा नहीं यूं तो कहने के साथी सभी है मगर वक्त मुश्किल में कोई हमारा नहीं अब तो सुन लो दयालु दादाजी मेरे मैं कब तक तुम्हें दुख सुनाती रहो दादा चरणों में...