चलो चलो भाई बहेनो चलो चलो भाई बहेनो देखन मतवाले डंडे वाले को मतवाले डंडे वाले को दादाजी धूनी वाले को अजब शान अलबेली मूरत रहते सदा आनंदा नहाते धोते कबहुँ ना देखा निर्मल जैसे चंदा चलो चलो... नर्मदा तट पर सबसे ऊंचा है इनका स्थान जो इनके दर्शन को आवे हो जाये भव से पार चलो चलो... निराकार निर्विकार निर्गुण ध्यावत सुर नर विंदा हे रघुनन्दन खल दल भंजन नमो नमो भगवंता चलो चलो... गाली देना डंडा मारना यही है इनका धंधा जग के नाथ जगत स्वामी को नहीं भावे छल छन्दा चलो चलो... हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी दर्शन को आते शांति सरोवर का पी प्याला हंसी खुशी घर जाते चलो चलो... रोगी सोगी कोड़ी निपुत्री निर्धन पागल अँधा जन पर कृपा करो तुम स्वामी दूर होवे सब द्वन्दा चलो चलो... सेवक तुम्हारा ध्यान धरत है क्या सुबह क्या संध्या जन की पीर मिटाओ मेरे दादाजी सतगुरु आनंद करंदा चलो चलो...