बंगला अजब बणया महाराज

  बंगला अजब बण्या महाराज
  इण में नारायण बोले
  नारायण बोले अणि मे परमेश्वर बोले रे बंगला...

  पांच तत्त्व की ईंट बणाई तीन गुणों का गारा।
  छत्तिसों की छात बणाई चेतन है चिंणगारा।।

  इस बंगले में दस दरवाजा बीच में पवन का खंभा।
  आवत जावत कोई न देखा ऐसा हुआ अचम्भा।।

  इस बंगले में चोपड़ मांडी खेले पांच पचीसा।
  कोई तो बाजी हार चल्या रे कोई चल्या जुग जीता ।।

  इस बंगले मे पातर नाचे मनवा ताल बजावे।
  सुरत मूरत का बांध घूंघरा राग छतिसों गावे।।

  कहे मछन्दर सुण जति गोरख जिण ये बंगला गाया।
  इस बंगले को गाणे वाले, फेर जनम नहीं पाया।।